Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता नए सवेरे


नए सवेरे

तूफान में फंसी है, नाव ये मेरी,
पता नही कब और कैसे लगेगी किनारे,
दिखता है चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा,
ना जाने कब होंगे नसीब उजियारे,

बहुत संभाला था इस रिश्ते को मैंने,
बचा रखा था दुनिया की नजरों से,
प्यार और समर्पण से सींचा था इसे मैंने,
बुना था खुशियों के धागों से इसे,

टूटा जब से ये रिश्ता, डगमगा से गए हैं पांव मेरे,
कोशिश कर रही हूं, अब जीने की बिना तेरे,
कभी तो होगा उजाला , इस जीवन में मेरे,
कभी तो ढलेगी रात, होंगे नए सवेरे।।


प्रियंका वर्मा
5/5/22

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17 Comments

Priyanka Verma

06-May-2022 11:36 AM

Thank you so much all my friends 🙏😊😊😊💐💐💐💐💐💐💐🎉🎊🎉🎉🎉🎉🎉🎉

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Reyaan

06-May-2022 11:33 AM

👌👏

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Shrishti pandey

06-May-2022 10:21 AM

Nice

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